लखनऊ. भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली सहगल और राज्य सचिव डा. हीरालाल यादव ने आज यूपी के योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहाकि, योगी सरकार संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक मूल्यों, मर्यादाओं को दरकिनार कर हर विरोधी आवाज को कुचल रही है। और किसान आंदोलन को समर्थन कर रहे किसानों को डरा रही है।
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कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य कार्यालय में गुरुवार को एक प्रेस वार्ता हुई, जिसमें वक्तव्य जारी पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली सहगल और राज्य सचिव डा. हीरालाल यादव ने कहाकि, किसान आंदोलन का समर्थन करने वालों के खिलाफ असंवैधानिक कानूनों, फर्जी मुकदमों, नजरबंदी और गिरफ्तारियों का इस्तेमाल कर उन्हें भयभीत किया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने पूरी नौकरशाही को गांव-गांव में किसानों तथा किसान नेताओं की जासूसी के लिए
लगा दिया है। सक्रिय विपक्षी राजनीतिक कार्यकर्ताओं तथा किसान संगठनों के नेताओं को शांतिभंग यहां तक कि गुण्डा एक्ट के अंतर्गत नोटिसें भेजी जा रही हैं। सोशल मीडिया पर सरकार का विरोध करने के कारण दर्जनों एफआईआर दर्ज की जा रही हैं।
बदायूं की घटना बदनुमा कलंक :- आगे दोनों नेताओं ने कहाकि, पूरे प्रदेश में जंगलराज कायम है। बदायूं की घटना सरकार के माथे पर बदनुमा कलंक है। महिलाओं के साथ इसी तरह की बलात्कार की घटनाएं तथा दलितों के उत्पीड़न की घटनाए प्रदेश में हो रही हैं। गाजियाबाद के मुरादनगर में श्मशान की छत गिरने से 24 लोगों की मृत्यु की घटना ने सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है।
गन्ने का सरकारी मूल्य घोषित नहीं :- माकपा नेताओं ने कहाकि, उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने की आए दिन घोषणायें कर रही है किन्तु धान किसानों को अपना धान 1000 रुपए प्रति कुंतल तक बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। व्यापारियों द्वारा उधार में लिये गये धान के बदले दिये गये चेक बाउंस हो रहे हैं। गन्ना किसानों के गन्ने का अभी तक सरकार ने मूल्य घोषित नहीं किया है और हजारों करोड़ रुपए पिछले साल का बकाया है।
धर्मनिरपेक्ष ताकतेंं एकजुट हो :- माकपा नेताओं ने कहाकि, प्रदेश में जिस तरह से संविधान और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, उसके मुकाबले के लिए वामपंथी जनवादी तथा धर्मनिरपेक्ष दलों तथा ताकतों को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए।
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