सुप्रीम काेर्ट ने वन अधिकारियों के पास हथियार व अन्य उपकरण न होने पर चिंता जाहिर की है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने शुक्रवार को एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा, ‘असम में वन अधिकारियों के पास हथियार होता है, जबकि कर्नाटक के फॉरेस्ट अधिकारी चप्पल में घूमते हैं। दूसरे राज्यों में वन अधिकारियों के पास सिर्फ लाठी होती है। ऐसा क्यों? इस तरह वे तस्कारों-शिकारियों से कैसे निपटेंगे।’
अदालत ने कहा, ‘यह बेहद गंभीर है। यह अंदाजा लगाना भी मुश्किल है कि कैसे बिना हथियार के वन अधिकारी जंगल में कानून-व्यवस्था को लागू करता होगा। वे निहत्थे होते हैं। उन पर शिकारियों द्वारा क्रूरता से हमला किया जाता है। ऐसे शिकारी जो हथियारों से लैस होते हैं।
वन अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकारों को असम सरकार के मॉडल से प्रेरणा लेनी चाहिए। फॉरेस्ट रेंजर व अधिकारियों को हथियार व बुलेटप्रूफ जैकेट उपलब्ध करानी चाहिए।’ कोर्ट गोदावर्मन तिरूमलपाड मामले में दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। अदालत ने केंद्र व सभी राज्यों से जवाब मांगा है।
राज्य सरकारें बजट ही नहीं देतीं: न्याय मित्र राव
इस मामले में कोर्ट ने वकील एडीएन राव को एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया है। उन्होंने कोर्ट से कहा, ‘राज्य सरकारें वन विभाग के लिए बजट ही जारी नहीं करती हैं। इसीलिए वन अधिकारी सुरक्षा और अधिकारहीन हैं।’ अदालत में राजस्थान के वन अधिकारियों की ओर से भी एक अर्जी दायर की गई है। इसमें राज्य में कुछ वन अधिकारियों पर केस दर्ज किए जाने के मामले में अदालत से दखल देने की मांग की गई है।
तस्करों द्वारा किए जाने वाले हमलों में 31% भारत में
राजस्थान के वन अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि दुनिया भर में वन अधिकारियों पर हर साल वन्य जीव और लकड़ी के लिए हमले होते हैं। इस तरह के मामलों में 31% भारत की रहती है। तिस पर वन अधिकारियों के ऊपर ही उल्टे केस दर्ज कर दिए जाते हैं।
Be First to Comment