लखनऊ. पानी का दुरुपयोग रोकने और सूखे की मार झेल रहे जिलों में जल की भरपूर आपूर्ति के लिए प्रदेश में जल्द ही जल नीति लागू की जाएगी। प्रदेश में जल संसाधनों का सुरक्षित व बेहतर उपयोग करने के लिए नई जल नीति लागू की जा रही है। इससे जल प्रबंधन और संरक्षण की राह मिलेगी। इसके साथ उत्तर प्रदेश ग्राउंड वाटर मैनेजमेंट एंड रेगुलेशन अधिनियम-2019 भी जल संरक्षण में मददगार सिद्ध होगा। प्रदेश में हो रहे जल संकट से उबरने के लिए प्रदेश में करीब पांच हजार पीजोमीटर लगाए जाएंगे। इसके जरिये भूजल स्तर का मापन डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डर से टेलीमेट्री के माध्यम से प्रत्येक 12 घंटे के अंतराल पर किया जा सकेगा। सटीक भूजल आंकलन से योजनाओं को लागू करने में मदद मिलेगी।
वरदान साबित होगी अटल भूमि योजना
दरअसल, उत्तर प्रदेश में करीब 70 फीसदी सिंचाई भूगर्भ जल पर निर्भर है। पेयजल के लिए 80 फीसदी और 85 फीसदी औद्योगिक जरुरतों की पूर्ति धरती के भीतर से निकले जल से पूरी हो रही है। औद्योगिक क्षेत्रों में भूजल रिचार्ज की तुलना में 100 प्रतिशत से अधिक भूजल दोहन खतरे की घंटी है। केवल पेयजल योजनाओं से 630 शहरी क्षेत्रों में 5200 मिलियन लीटर व ग्रामीण क्षेत्रों में 7800 मिलियन लीटर भू जल दोहन प्रतिदिन हो रहा है। इसी दोहन को रोकने के लिए जल नीति पर कार्य किया जाना है। भारत सरकार के सहयोग से बुंदेलखंड व अन्य जल संकट वाले जिलों में अटल भूजल योजना वरदान सिद्ध होगी।
जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह का कहना है कि वर्षा और नदियों के जल का अधिकतम उपयोग की कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
प्रथम चरण में महोबा, झांसी, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट और ललितपुर के 20 ब्लाक और मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत व मेरठ जिलों के छह ब्लाक को शामिल किया गया है।
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