महज चंद दिनों के अंदर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को दूसरी बार सरदार पटेल भवन स्थित बिहार पुलिस मुख्यालय पहुंचे हैं। वो भी गुस्से में। मुख्यमंत्री के गुस्से का आलम यह था कि पुलिस मुख्यालय की तरफ से गार्ड ऑफ ऑनर की तैयारी धरी की धरी रह गई। मुख्यमंत्री बगैर गार्ड ऑफ ऑनर लिए सीधे बिल्डिंग के अंदर चले गए।
गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही
भास्कर को सूत्रों के जरिए जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक बिहार पुलिस मुख्यालय दो भागों में बंट चुका है। मुख्यालय के अंदर सीनियर IPS अधिकारी आपस में गुटबाजी कर रहे हैं। अधिकारियों की खेमेबाजी का सीधा असर पुलिसिंग पर पड़ रहा है। कामकाज काफी प्रभावित हो रहा है। सूत्र बताते हैं कि इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री को भी हुई। बिहार का गृह विभाग भी मुख्यमंत्री के पास ही है। इस वजह से मुख्यालय स्तर की हर एक जानकारी किसी न किसी माध्यम से उन तक पहुंच ही जाती है। राज्य में खराब लॉ एंड ऑर्डर को लेकर नीतीश कुमार पहले से ही काफी गंभीर हैं। ऐसे में जब उन्हें मुख्यालय के सीनियर IPS अधिकारियों के खेमेबाजी के बारे में पता चला तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।
फ्रेंडली रिलेशन नहीं रखते हैं अधिकारी
खेमेबाजी की वजह से मुख्यालय में पुलिस अधिकारियों के बीच गंदी राजनीति चल रही है। सूत्रों का दावा है कि अधिकारियों के बीच आपस में फ्रेंडली रिलेशन नहीं है। किसी भी प्रकार की स्थिति को वे ठीक से डील नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह से सीनियर का अपने जूनियर अधिकारियों के साथ भी फ्रेंडली रिलेशन नहीं है। यह हाल मुख्यालय के साथ-साथ जिलों में तैनात पुलिस अधिकारियों का भी है।
माफिया से कम, आपस में ज्यादा लड़ते हैं
बिहार कैडर के पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ दास के अनुसार मुख्यालय में खेमेबाजी कोई नई बात नहीं है। IPS अधिकारियों की गुटबाजी बहुत पहले से चली आ रही है। पुलिस अधिकारी माफिया-अपराधियों से कम, आपस में ज्यादा लड़ते हैं। गंदी राजनीति करते हैं। इसका सीधा असर ट्रांसफर-पोस्टिंग से लेकर पुलिस के कामकाज पर पड़ता है।
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