बैंकाें में ट्रांजेक्शन के लिए जमा क्लाेन चेक की सही से जांच नहीं हाेने का फायदा साइबर अपराधी उठा रहे हैं। ओरिजिनल चेक ग्राहकाें के पास ही रहता है और उनके खाते से शातिर उनके ही चेक का क्लाेन कर रकम निकाल लेते हैं। ग्राहक काे इसकी जानकारी इसलिए नहीं मिलती है, क्याेंकि बैंक से लिंक उनका माेबाइल भी साइबर अपराधी हैक कर लेते हैं।
कई ग्राहकाें काे ताे बैंक से फाेन भी नहीं जाता है कि आपने किसी के खाते में रकम ट्रांजक्शन करने के लिए चेक दिया है? कई काे रकम निकल जाने का मैसेज जाता है, तब तक शातिराें का गिराेह उनकी रकम काे दूसरे खाते में डलवा लेते हैं।
पटना सिटी से लेकर नाैबतपुर तक पिछले 15 दिनाें में साइबर अपराधियाें ने दाे किसान, एक स्कूल की प्राचार्य, एक काराेबारी की मां, बैंक मैनेजर, एक काराेबारी का चेक क्लाेन कर 70.75 लाख रुपए निकाल लिए। इन मामलाें में न काेई गिरफ्तार हाे सका है और न ही काेई बड़ा गिराेह पकड़ा गया।
पिछले 15 दिनाें में चेक क्लाेन कर रकम निकालने और इसकी काेशिश करने के 10 मामले आए। इनमें सबसे अधिक तीन केस गांधी मैदान थाने में दर्ज हुए। पिछले साल दरियापुर स्थित एसबीआई में एक काराेबारी का क्लाेन चेक कर रकम उड़ाने के दाैरान पुलिस ने एक बड़े गिराेह के तीन शातिराें काे गिरफ्तार किया था। उसके बाद पुलिस उस गिराेह के अन्य शातिराें काे गिरफ्तार नहीं कर सकी। चेक क्लाेन कर फ्रॉड मामले में अब किसी के पैसे की रिकवरी भी नहीं हुई है।
पहले छाेटी, फिर बड़ी रकम उड़ाई
साइबर अपराधियाें काे इस बात की जानकारी मिल गई थी कि ज्यादा ग्राहकाें वाले बैंक में चेक की स्कैनिंग सही से नहीं हाेती है। इसलिए इन शातिराें ने पहले क्लाेन चेक से छाेटी रकम उड़ानी शुरू की। उसके बाद इन शातिराें ने क्लाेन चेक से बड़ी रकम उड़ानी शुरू कर दी। यही नहीं कुछेक के माेबाइल नंबर भी हैक कर लिए।
ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ा
साइबर अपराधी ग्राहक की लापरवाही या बैंक के छाेटे स्तर के कर्मियाें की मिलीभगत से पहले चेक का नंबर, ग्राहक का नाम व खाता संख्या जान लेते हैं। उनके पास पहले से सभी बैंकाें में खाता हाेता है और चेक भी। ओरिजिनल चेक देख दूसरे ग्राहक का कंप्यूटर पर पहले चेक बनाते हैं, फिर प्रिंटर से निकाल लेते हैं। क्लाेन चेक में ग्राहक का नाम, खाता संख्या और चेक नंबर डालकर ओरिजिनल चेक बुक की तरह क्लाेन किया चेक बुक निकाल लेते हैं।
सूझबूझ दिखाई तो सरकार के 11.73 कराेड़ रुपए बचे
साइबर अपराधी एग्जीबिशन राेड के काेटक महिंद्रा बैंक में पटना के भू-अर्जन अधिकारी के सरकार खाते से आरटीजीएस के माध्यम से 11.73 कराेड़ रुपए आईसीआईआईसी बैंक की बाेरिंग राेड शाखा के एक निजी कंपनी के खाते में ट्रांसफर कराने आए थे, पर बैंक की सूझबूझ की वजह से सरकारी रकम बच गई और शातिर शुभम पकड़ा गया।
इसी तरह काेतवाली थाना इलाका स्थित बैंक ऑफ इंडिया में विवेक कुमार मुंबई की एक निजी कंपनी का चेक क्लाेन कर 4.50 कराेड़ रुपए ट्रांसफर कराने आया, पर वह भी पकड़ा गया। गांधी मैदान इलाके के एक बैंक में साइबर अपराधी एक काराेबारी के 1.75 लाख रुपए उड़ाने में एक गिरफ्तार हुआ। वहीं जक्कनपुर के बैंक ऑफ बड़ाैदा से एक स्कूल के खाते से 6.70 लाख उड़ाने वाला पकड़ा नहीं गया।
बैंक यह करे : साइबर एक्सपर्ट ने कहा-स्कैनिंग सिस्टम ठीक हो
साइबर एक्सपर्ट आईपीएस सुशील कुमार का कहना है कि बैंक काे अपना स्कैनिंग सिस्टम ठीक करना हाेगा। चेक को हाई रिज्युलेशन से स्कैन करने की जरूरत है ताकि क्लाेन चेक का पता लग सके। ग्राहकाें के साइन की भी ठीक से जांच होनी जरूरी है। 50 हजार ऊपर की रकम दूसरे के खाते में ट्रांसफर करनी हाे ताे जिसके नाम से बैंक ने चेक इश्यू किया है, उसे फाेन करने की जरूरत है।
अगर उनका माेबाइल बंद हाे या काम नहीं कर रहा ताे फिर उसे चेक काे क्लियरेंस में नहीं डाला जाना चाहिए। बैंक ग्राहकाें काे जाे चेक निर्गत करता है उसका नंबर और ग्राहक का नाम, खाता संख्या आदि की गाेपनीयता लीक नहीं हाेनी चाहिए।
ग्राहक यह करें: बैंक अधिकारी ने कहा-चेक काे रखें सुरक्षित
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया स्थानीय मुख्यालय के एजीएम दिनेश कुमार सिंह का कहना है कि बैंक में सही से चेक की जांच हाेती है। जहां भीड़-भाड़ अधिक हाेता है वहां हाे सकता है कि काेई गलती हाे जाए। ग्राहकाें काे फाेन किया जाता है। उनका कहना है कि ग्राहक चेक, पासबुक काे सुरक्षित रखें। किसी गैर भराेसेमंद व्यक्ति काे चेक या पासबुक न दें जिससे उसका नंबर काेई दूसरा जान ले। माेबाइल पर इनाम देने का जाे मैसेज आता है या काेई रकम जीतने का काेई लिंक आता है, उसे फाैरन डिलीट कर दें। जाे माेबाइल नंबर बैंक से लिंक है, वह बच्चाें काे न दें। बैंक से आने वाले मैसेज काे हमेशा चेक करते रहें।
पकड़े गए शातिर ने कहा-व्यवसायी के पूर्व अकाउंटेंट ने दिया था चेक
व्यवसायी अंकुर पारलीवाल को 1.75 लाख की चपत लगाने की कोशिश करने वाले शातिर रंजन को पुलिस ने पूछताछ के बाद शुक्रवार को जेल भेज दिया। रंजन गुरुवार को 1.75 लाख का चेक लेकर किसी खाते में ट्रांसफर कराने पहुंचा था। इसी दाैरान गिरफ्तार हाे गया। उसने पुलिस को बताया कि उसे चेक मनेर के प्रेम नाम के लड़के ने दिया था। प्रेम व्यवसायी के एग्जीबिशन रोड स्थित दफ्तर का अकाउंटेंट था।
दो साल पहले व्यवसायी ने उसे नौकरी से निकाल दिया था। गांधी मैदान थानेदार रंजीत वत्स ने कहा कि अंकुर की तलाश में छापेमारी चल रही है। रंजन खगड़िया की ललिता देवी के यूनियन बैंक के खाते में पैसे का ट्रांसफर करवाने पहुंचा था। पुलिस यह पता लगा रही है कि ललिता देवी कौन है और वह कहां की रहने वाली है।
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