गांव की सरकार की कमान अब मुखिया और पंचायत सचिव के हाथाें से बीपीओ और संबंधित प्रखंड के बीडीओ के हाथाें पर आ जाएगी। वहीं मनरेगा से संचालित याेजनाओं में 10 लाख तक की याेजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति बीडीओ ही देंगे। इस संबंध में झारखंड सरकार के मनरेगा आयुक्त ने भी गाइडलाइन जारी कर दी है। जिसमें सभी जिलाें के डीसी, डीडीसी व जिला कार्यक्रम समन्चयक काे निर्देशित किया है। इसमें कहा है कि पंचायताें में मनरेगा के सभी प्रकार के व्यय का भुगतान इएफएमएस सिस्टम के तहत हाेता था।
जिसमें प्रथम हस्ताक्षर कर्ता पंचायत सचिव और द्वितीय हस्ताक्षरकर्ता मुखिया थे। लेकिन पंचायती राज की कार्यवधि पूरा हाे जाने के कारण अब मनरेगा याेजनाओं का व्यय प्रखंड स्तर पर इएफएमएस सिस्टम के तहत हाेगी। जिसमें प्रथम हस्ताक्षरकर्ता प्रखंड के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी और द्वितीय हस्ताक्षरकर्ता संबंधित प्रखंड के बीडीओ हाेंगे। ग्रामीण विकास विभाग के निर्देशक सह संयुक्त सचिव आदित्य रंजन ने निर्देश जारी की है कि पंचायताें के सरकार के विघटन के बाद जनप्रतिनिधियाें के ई ग्रामस्वराज पाेर्टल व पीएफएमएस काे अनरजिस्ट्रर कर दें। सभी जिलाें के डीसी काे यह निर्देश जारी की गई है। डिजीटल सिगनेचर काे भी खारिज करने काे कहा गया है।
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